सोमवार व्रत कथा | Sawan Somvar Vrat Katha

हिन्दू धर्म में Sawan Somvar ka Vrat Katha रखने को विशेष महत्व दिया जाता है। Somvar vrat katha व्रत करने वालों को इस व्रत के महत्व और धार्मिक आराधना की अहमियत को समझने में सहायता करती है। सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से मान्यता है कि उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है और व्रत करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

Sawan Somvar Vrat Katha
Sawan Somvar Vrat Katha

सोमवार व्रत कथा विधि

यह Sawan somvar vrat katha हमें शांति, समृद्धि, सुख और आनंद प्रदान करता है। इस व्रत की कथा विधि हमें इसके महत्व को समझने में सहायता करती है।

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सावन सोमवार व्रत कथा विधि का आरंभ उचित मुहूर्त में होता है। व्रत करने वाले व्यक्ति को सोमवार की सुबह जल्दी उठना चाहिए। नहाने के बाद, फिर उसे शिव जी पूजा करने के लिए शिव मंदिर जाना चाहिए। वहां मंदिर पहुंचकर उसे शिवलिंग को सजाना चाहिए। धूप, दीप, फूल और अर्क को लेकर उसे शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद उसे मंत्रों के साथ शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए।

व्रत के दौरान, व्रत करने वाले व्यक्ति को विशेष आहार पर ध्यान देना चाहिए। उसे शाकाहारी भोजन ही करना चाहिए और अन्य नश्ते या फास्ट फूड जैसे खाने से परहेज करना चाहिए। उसे गर्मियों के दौरान फल खाना चाहिए और अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए। व्रत के अंत में, व्रत करने वाले व्यक्ति को शिवलिंग के सामीप रहना चाहिए और आदरपूर्वक भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।

व्रत के बाद, व्रत करने वाले व्यक्ति को संकल्प लेना चाहिए कि वह सावन सोमवार व्रत का पालन नियमित रूप से करेगा और भगवान शिव की आराधना करेगा।

Sawan Somvar Vrat Katha

(यह कथा खड़ी मारवाड़ी भाषा में लिखी गई है इसे ऐसे ही पढ़े)

शिवजी न पार्वतीजी से कयो कि म दुनिया का खेल देख न जाऊं हूं। पार्वती कयो कि मैं भी साथ चालूंगी। शिवजी बोल्या कि रास्ता म भूख प्यास लागसी, थे कंठ चालोगो, पर पार्वतीजी जिद पकड़ लियो। जद दोनूं जना नान्दिया पर चढ़कर बाजार म निकल्या। कई जना ऊंना न देखकर हांसन लाग्या, बोल्या कि जोगी बण्यो है, नान्दिया न बोझा मार दिया, लुगाई न साथ बैठा लियो। थोडी देर जाकर शिवजी पगां चाल न लाग्या। थोड़ी दूर गया होवगा, फेर लोग हंस न लाग्या, बोल्यो देखो देखो जोगी बण्यो है, आप तो पगां चाल है, लुगाई न बोल पर चढ़ा राखी है। और आगे न जाकर शिवजी तो नान्दिया पर बैठगा, पार्वतीजी पगां चाल लागी। फेर सब बोल मार न लाग्या कि आप तो बोल पर चढ़रयो है से लुगाई पगां भागी जाव। पिछ शिवजी एक गाछ क नीचे तकियों लगा कर सो गया। लुगायां सहारस निकली बोल न लागी कि रामार्यो जोगी तो है, पर तकिया बिना ही कोनी सोव। लुगायां चली गई तो शिवजी तकियों निकाल दियो। थोड़ी देर म व लुगायां पाती आई और आजूं बोलन लागी कि रामार्यो के कितनो गुस्सों है, आपां बोल दिया जिंक स तकियो काड दियो। लुगायां आग न चली गई। शिवजी पार्वती ने कया कि दुनिया का खेल देख लिया ना, आदमियां न कइयां भी जिक कोनी।

अब आपां कैलाश पर्वत पर चालां उठ ही चाल कर खागां। थोड़ी दूर गया होवगा, पार्वतीजी बोली कि म न तो प्यास लागरी है। शिवजी बोल्या म तो था न पहले ही मना करयो थी कि मेर साग मतना चालो, थार स कोनी चाल्यो जावगो। पन पार्वतीजी बठ ही बैठगी, बोली कि म न तो जल प्यानो ही पड़सी। तब शिवजी जटा खोल कर गंगाजी बहादी। शिवजी, पार्वतीजी, नान्दियो बठ ही जल पी लिया। थोड़ी दूर और आग न गया होवगा, पार्वती जी ओजूं बोलने लाग्या कि म न तो भूख लागरी है। शिवजी बोल्या कि म तो था न पहले ही बोल्या था कि थार क न कोनी तो जावगो। पर पार्वती जी जिद पकड़ लियो।

जद शिवजी पार्वतीजी एक बुढ़िया को गया। बोल्या कि बुढ़िया माई अलग राम। बुढ़िया माई कि अलख मारन के चाहे। शिवजी बोल्या कि खीर खान्ड का भोजन। बुढ़िया माई बोली कि मेर घर म ही घणा ही खाणिया है, म थार ताईं कंठ तक करूंगी। आग न दूसरी बुढ़िया माई क न गया बोल्या कि बुढ़िया माई अलख राम। बुढ़िया माई पूछी कि अलख राम न के चाहे। शिवजी बोल्या कि खीर खान्ड का भोजन। बुढ़िया माई बोली कि आओ महाराज, बैठो महाराज और बाहर न स सामग्री ध्यान चाली।

शिवजी पूछ्या बुढ़िया माई कंठ जाव है। बुढ़िया माई बोली सामग्री ल्यान‌ जाऊं। जद शिवजी बोल्या पहले तेर घर म तो देख। देख तो सारी चीज़ें का टुठ भंडार हो गया है, जद भोत रसोई बनाई और दो पनबाड़ा शिवजी-पार्वती का परोस्या, एक नान्दिया को परोस्या। जद शिवजी बोल्या तीन पनवाड़ और परोस। बुढ़िया माई पूछी कि खुश जिमगो। शिवजी बोल्या कि एक तेरा बेटा को, एक तेरी बहूं को और एक तेरो।

बुढिया माई बोली महाराज, मेरा बेटा बहूं कठ है। शिवजी बोल्या गैल न घूम कर तो देख। देख तो सोलह बरस को बेटो और बहू गठजोड़ा से खड्या है। सब कोई जीम लिया। शिवजी पार्वतीजी तो घरां चल्या गया, बुढ़िया माई सगल प्रसाद बांट ने लागी। पहली बुढ़िया माई क भी गई, बा पूजन लागी कि आज तेर के थी। बा सारी बात बता दी। बुढ़िया माई बोली कि ब तो मेर भी आया था, कठिन न गया है, मेरो लेगा, त न देगा और गैल भागी। पार्वतीजी कयो महाराज देखो बा बुढ़िया माई भागी आव है। शिवजी बोल्या कि थे रास्ता म भोत हैरान करया और ठहरगा।

बुढिया माई आई बोली कि मेर स लेगा,बिन देगा। शिवजी बोल्या कि म तो कोनी स कोनी लियो, तूं ना करी तेर ना होगी। बा डांकरी भी क सब कुछ होगो। बुढ़िया माई बोली कि मेर घर म कुछ भी कोनी रयो। जद शिवजी बोल्या कि तेर धन म स आधो दें देसी, तो सब कुछ हो जासी। बुढ़िया माई बोली दे देस्यूं। ऊं क बैंया ही धन होगा, बा ऊं न आवै धन दे दियो। हे भगवान! रसोई जिमाई जिसकी न धन दियो, जिसो सब न‌ दियो, कहतां न, सुनता न, हुंकारा भरतां न अपना सारा परिवार न दियो।

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FAQ

सावन सोमवार व्रत में क्या क्या खाते है?

इस व्रत के दौरान भक्तजन फल, साबूदाना की खिचड़ी, मिश्रित फल खिचड़ी, दूध और अन्य शाकाहारी भोजन जैसे सलाद और नारियल पानी, ही करना चाहिए। इस दिन तामसिक भोजन जैसे लहसुन और प्याज आदि के सेवन से बचना चाहिए।

सावन के सोमवार के व्रत में शाम को क्या खाया जाता है?

इस व्रत के दौरान शाम को आप सूखे मेवे जैसे काजू,बादाम ले सकते है और सभी प्रकार के व्रती फल भी खा सकते है जैसे केला, सेव, अंगूर, आम आदि। इसी के साथ उबले हुए आलू पर सेंधा नमक लगाकर भी खा सकते है। पर ध्यान रखे कि व्रत के समय बार बार ना खाए।

सोमवार को शिव जी को क्या चढ़ाना चाहिए?

सावन के सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाना शुभ माना जाता है। इसी के साथ आप शिवलिंग पर गंगा जल और गन्ने के रस से भी रुद्राभिषेक कर सकते है।

शिव जी को कौन सा फल नहीं चढ़ाना चाहिए?

भगवान शिव को केला और नारियल नही चढ़ाना चाहिए। आप नारियल के पानी से उनका अभिषेक कर सकते है।

शिव जी को कौन कौन से फूल चढ़ाए जाते है?

भगवान शिव को धतूरे का फल और फूल बहुत प्रिय है। ये फूल चढ़ाने पर आपके दुख दर्द कम होंगे। इसके अलावा आप बेल पत्र, धूप, दीप, बिल्व पत्र से भी उनकी पूजा कर सकते है।

शिव जी को कौन कौन से फूल नहीं चढ़ाए जाते है?

शिवलिंग पर केतकी और चमेली के फूलों को नही चढ़ाना चाहिए।

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