Brihaspati Dev ki Aarti के द्वारा हम गुरु की महिमा और महत्व को प्रकट कर सकते है। यह आरती गुरुदेव को समर्पित होती है और उनकी पूजा अर्चना कर के हम उनका आशीर्वाद प्राप्त करते है। इस आरती के द्वारा हम हमारे गुरुदेव के मार्गदर्शन, सिद्धांतों और ज्ञान को ध्यान में रखते है। इस आरती से हमारे मन को शांति, आनंद और सब समृद्धि मिलती है।
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गुरुवार की आरती का महत्व
गुरुवार हिंदूधर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह वार भगवान बृहस्पति को समर्पित है, इसलिए इसे बृहस्पतिवार भी कहा जाता है। बृहस्पतिवार को हिंदू धर्म में देवता बृहस्पति(गुरु ग्रह) के नाम से जाना जाता है। यह ज्ञान, विद्या , समृद्धि और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है। रविवार की आरती | Ravivar ki Aarti Lyrics
गुरुवार को भगवान नारायण(विष्णु) और बृहस्पति की पूजा अर्चना का दिन भी माना जाता है। इस दिन भक्त गुरुदेव के चरणों में समर्पित होकर उनसे आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त करते है।
इस दिन गुरु की पूजा, आराधना और उनके प्रति समर्पण किया जाता है। गुरु ही शिक्षा का प्रमुख स्रोत होते है और हमे अनुभव और ज्ञान की प्राप्ति गुरु द्वारा ही होती है। गुरुवार की आरती के द्वारा हम गुरु के मार्गदर्शन को याद करते है, और उनके सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए उनके चरणों में समर्पित होते है।
जय जय आरती राम तुम्हारी, राम दयालु भक्त हितकारी।। |
जनहित प्रगटे हरि ब्रतधारी, जन प्रहलाद प्रतिज्ञा पाली। |
द्रोपदसुता को चीर बढ़ायो, गज के काज पयादे धायो। |
दश शिर छेदि बीस भुजा तोरे, तैंतीस कोटि देव बंदि छोरे। |
छत्र लिया कर लक्ष्मण भ्राता, आरती करत कौशल्या माता। |
शुक शारद नारद मुनि ध्यावै, भरत शत्रुहन चंवर दुरावै। |
राम के चरण गहे महावीरा, ध्रुव प्रहलाद बालिसुत वीरा । |
लंका जीति अवध हरि आये, सब सन्तन मिला मंगल गाये। |
सीता सहित सिंहासन बैठे, रामानन्द स्वामी आरती गाये। |
गुरुवार के नाम का महत्व बहुत अधिक है। गुरुवार नाम संस्कृत शब्द “गुरु” और “वार” से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है “गुरु का दिन”। यह दिन भगवान बृहस्पति को समर्पित होता है, जो की ज्ञान, दीर्घायु और विवेक के प्रतीक है।
गुरुवार शब्द का उग्रण होता है “गुरु” से, जो की दिव्य शिक्षक के आशीर्वाद और मार्गदर्शन को खोज के लिए समर्पित होता है। गुरुवार को भक्तजन दिव्य आशीर्वाद लेने के लिए कई प्रकार के काम करते है जो इस प्रकार है:
पूजा और अर्चना: इस दिन भगवान बृहस्पति की पूजा और अर्चना की जाती है। सोमवार की आरती | Somvar ki Aarti Lyrics
मंत्र जाप: इस दिन भक्तजन मंत्रजाप करते है, जिससे भगवान बृहस्पति प्रसन्न होते है।
व्रत: भक्तजन गुरुवार को व्रत रखकर अपने शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि करते है।
गुरुवार की कथा: इस कथा से भक्तजन गुरु के महत्व और उनके दिव्य लीलाओं का ज्ञान प्राप्त करते है।
Brihaspati Dev ki Aarti
Jay Jay Aarti Ram Tumhari, Ram Dayalu Bhakt Hitkari | |
Janahit pragate Hari bratdhari, Jan Prahlaad pratigya paali | |
Draupadi Suta ko chir badaayo, Gaj ke kaaj payaade dhaayo | |
Dash shir chhedi bees bhuja tore, Taintees koti dev Bandhi chore | |
Chhatra liya kar Lakshmana Bhrata, Aarti karat Kaushalya mata | |
Shukh Sharad Narad Muni dhyaavai, Bharat Shatruhan Chhavar Duraavai | |
Ram ke Charan Gahe Mahaveera, Dhruv, Prahlad Balisut Veera | |
Lanka jeeti Avadh Hari aaye, Sab santan mila mangal gaye | |
Seeta sahit sinhasan baithe, Ram Anand Swami aarti gaye | |
इस प्रकार गुरुवार का दिन हमे गुरु के प्रति आदर और समर्पण की भावना रखने का अवसर देता है, इसलिए हमे अपने गुरु की शिक्षाओं को अपने जीवन में अंकित करने का संकल्प लेना चाहिए और उनके निर्देशों का पालन करना चाहिए।
गुरुवार का दिन हमे सत्य, धर्म और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है और हमे सारे जगत के लिए सेवा और प्रेम भाव रखने के लिए प्रेरित करता है।
शुक्रवार की आरती | Shukravar ki Aarti
FAQ
गुरुवार के दिन क्या नही करना चाहिए?
इस दिन बाल नही काटने चाहिए और न ही हाथ पैर के नाखून काटने चाहिए। गुरुवार के दिन महिलाओ को अपने बाल भी नही धोने चाहिए। इस दिन नहाते समय साबुन भी नही लगाना चाहिए।
गुरुवार के दिन कौन सा रंग पहनना चाहिए?
इस दिन पीले रंग के कपड़े पहने जाते है। गुरुवार भगवान विष्णु को समर्पित है और उन्हे पीला रंग पसंद है। इसलिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते है।
गुरुवार के दिन साफ सफाई करने से क्या होता है?
इस दिन साफ सफाई जैसे कामों को वर्जित बताया गया है। इस दिन झाड़ू लगाने या साफ सफाई करने से गुरु नाराज होते है और अन्य ग्रह तथा नक्षत्र भी काम नही करते है।